गजल -१२५
कहियो रौदी त' कहियो तुफान मारि गेल
किछुओ बाँचल त' धसना धँसान मारि गेल
किछुओ बाँचल त' धसना धँसान मारि गेल
छोड़ल फज्जैत नै किछु कसाइ बाढि पानि
जुलमी सगरो घड़ारी बथान मारि गेल
जुलमी सगरो घड़ारी बथान मारि गेल
पूजल देवी सरिस मानि लोक धरि सएह
कहियो कोशी त' कहियो बलान मारि गेल
कहियो कोशी त' कहियो बलान मारि गेल
कखनो राखल कहाँ लोक कनिकबो विचार
मौका फबिते सटासट निशान मारि गेल
मौका फबिते सटासट निशान मारि गेल
खातेमे खेत खरिहानटा बचल भजार
करगर मिहनत अछैतो लबान मारि गेल
करगर मिहनत अछैतो लबान मारि गेल
देखल मिथिलाक राजीव हाल बेर काल
चुप्पेचापेसँ सभदिन सियान मारि गेल
चुप्पेचापेसँ सभदिन सियान मारि गेल
२२२२ १२२ १२१ २१२१
@ राजीव रंजन मिश्र
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