गजल-१२२
विजयादशमिक शुभ मुहूर्तपर समस्त मिथिला-मैथिली,देशभरिक बंधु,बांधवीकें हमर सिनेह आ आदर भरल शुभकामना,भाब भरल दू आखर गजलक रूपमे :
दोसर नै उपहार धरि सदभावना अछि
जीतय निकहा हार अधलाहक सदति हो
चेतन मोनक ई अटल अवधारणा अछि
सुख सम्पति सौहार्दक नित दीप पजरै
हो अज्ञानक दूर तम बस चाहना अछि
भ्रष्टाचारी रावणक टा अंत होमय
नीकक सभतरि जीत हो प्रस्तावना अछि
सुधि बुधि लक्ष्मी हो भरल राजीव मिथिला
गजले टा नै ई हमर उदगारना अछि
२२२२ २१२२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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