गजल-१०४
आइ फेर मोन हमर उदास अछि
फेर कान्ह पर त' चढल लहास अछि
पोछि पाछि नोर सभक त' हम चलल
बेर काल हारि क' हिय निराश अछि
पीबि गेल दुख त' सभक सदति मुदा
दुख अपन अबूझ बनल पियास अछि
गाछ पात ठाढि खसल सुखा सुखा
दैब जानि कोन बहल बतास अछि
बाट घाट पूछि रहल हमर पता
थाकि हारि मोन झड़ल पलाश अछि
2121 2112 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
आइ फेर मोन हमर उदास अछि
फेर कान्ह पर त' चढल लहास अछि
पोछि पाछि नोर सभक त' हम चलल
बेर काल हारि क' हिय निराश अछि
पीबि गेल दुख त' सभक सदति मुदा
दुख अपन अबूझ बनल पियास अछि
गाछ पात ठाढि खसल सुखा सुखा
दैब जानि कोन बहल बतास अछि
बाट घाट पूछि रहल हमर पता
थाकि हारि मोन झड़ल पलाश अछि
2121 2112 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
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