गजल-११०
भेटल नै जे नसीबमे
से की भेटत ग' भीखमे
से की भेटत ग' भीखमे
सीखब आबहुँ जँ बात नै
खहरब जगतीक रीतमे
दुनिया भारिगरकँ संग टा
धैलक लाखोकँ भीऱमे
धैलक लाखोकँ भीऱमे
हल्लुक जखने गरम पड़त
ठिठुरब निसि दिन त' शीतमे
मानब राजीव हारि नै
वीरक पहचान जीतमे
2222 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment