गजल-१०६
नै चाहितो बड किछु करा जाइ छै यौ
बुधि ग्यान सहजे गऱबऱा जाइ छै यौ
बुधि ग्यान सहजे गऱबऱा जाइ छै यौ
कतबो किएके नै सचर लोक मोनक
दिन काल पलटल आ धरा जाइ छै यौ
दिन काल पलटल आ धरा जाइ छै यौ
कहबाक खातिर जे संगी जन्म जन्मक
दरकार पऱिते ओ परा जाइ छै यौ
दरकार पऱिते ओ परा जाइ छै यौ
गरमी बहुत छल जाममे मान दानक
धरि हाक सुनिते हिय जऱा जाइ छै यौ
धरि हाक सुनिते हिय जऱा जाइ छै यौ
राजीव सदिखन माथ राखब लिबा नित
जखने उठल सभ चरमऱा जाइ छै यौ
जखने उठल सभ चरमऱा जाइ छै यौ
बहरे सरिअ - 2212 2212 2122
@ राजीव रंजन मिश्र
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