गजल-१०७
जगतक चालि बड कमाल देखल ऐठाँ
सूतल चाऱ तर धरि मजाल देखल ऐठाँ
सूतल चाऱ तर धरि मजाल देखल ऐठाँ
आंगुर हाथ आबएत मातर बाबू
टीकी नोचि नित बबाल देखल ऐठाँ
टीकी नोचि नित बबाल देखल ऐठाँ
जखने एक टा मिटाउ तखने दोसर
चट दनि ठाढ नब सवाल देखल ऐठाँ
चट दनि ठाढ नब सवाल देखल ऐठाँ
मोजर कोन काज केर भेटल ककरो
पसरल बातटाकँ जाल देखल ऐठाँ
पसरल बातटाकँ जाल देखल ऐठाँ
गुम राजीव देखि सुनि अजगुत लीला
काजक बेर सभ पताल देखल ऐठाँ
काजक बेर सभ पताल देखल ऐठाँ
2221 2121 2222
@ राजीव रंजन मिश्र
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