भक्ति गजल - ४
दुरगुन अछि बड मुरारी हम जानि ई रहल छी
कोनो नै बाट छोड़ल दिअमान लेल कौखन
बहकल छी धरि करेजा नित तानि ई रहल छी
सूझल टा दोष आनक निज चालि बेश लागल
सुधरल नै भाग डाहल बस कानि ई रहल छी
कखनो नै हाथ छोड़ल कोनो पतित अधमकेँ
नेहक छी खान माधब नित बानि ई रहल छी
सेवामे प्रभु चरण टा राजीव नित बिताबी
बिसरल छी हम जगत आ दिन गानि ई रहल छी
२२२ २१२२ २२१ २१२२
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