गजल-२४७
तते ने अहम भ' गेल
मनुखता खतम भ' गेल
मनुखता खतम भ' गेल
अपन लेल काँहि काँहि
मनुखकेँ धरम भ' गेल
मनुखकेँ धरम भ' गेल
जकर नाम माय-बाप
तकर सुख भरम भ' गेल
तकर सुख भरम भ' गेल
निरर्थककँ बाजि लोक
बुझनुक परम भ' गेल
बुझनुक परम भ' गेल
सबेरे सकाल माति
नरम आ गरम भ' गेल
नरम आ गरम भ' गेल
बिसरि लोक लाज-धाक
ह'यौ बेशरम भ' गेल
ह'यौ बेशरम भ' गेल
जँ राजीव बाँचि जैब
बुझब जे रहम भ' गेल
बुझब जे रहम भ' गेल
122 12 121
@ राजीव रंजन मिश्र
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