गजल-२६१
हम सिनेहक गीत लीखू
आ कि देखल रीत लीखू
चालि कुक्कुर बानि बागड़
की मनुखकेँ नीत लीखू
हारि बैसल नेह सगरो
हम कथी पर जीत लीखू
बेश चहुँ दिसि आगि लागल
की कहब थिक शीत लीखू
सभ अटारी टा कँ' देखत
तैँ कि नै हम भीत लीखू
सत कहब ढेकार लागल
झूठ टा मनमीत लिखू
कर्म नै राजीव नमहर
बात टा दस बीत लिखू
२१२२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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