गजल-२५४
नेह भरल आनन कै टा
छै नारिक पासन कै टा
छै नारिक पासन कै टा
के करतै दाबी कथिक
बड़ गमगम चानन कै टा
बड़ गमगम चानन कै टा
मै'-धी' पत्नी बहिनक सन
निर्मल आ पावन कै टा
निर्मल आ पावन कै टा
नेहक पुतली रहितो नित
एहन करगड़ हाँटन कै टा
एहन करगड़ हाँटन कै टा
राजीवक गप बुझि सरिपहुँ
करतै अनुपालन कै टा
करतै अनुपालन कै टा
२२२ २२२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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