गजल-२६०
सभटा देखि नै खबटा बीछल
लोकक हाथमे करमे टा तैँ
करमक साँढ़केँ चरजा बीछल
बड़ बूरि लोक टा अपना खातिर
आसन नीक आ ऊँचका बीछल
दूसल आनकेँ जे नित सदिखन
विधना फेर नै तकरा बीछल
यौ बड़ मंद छी बुधि राजीवक
बड़ आभार जे विधना बीछल
२२२१ २ २२२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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