गजल-५६
चहुँ कात लोक बाबू दमसैल जा रहल अछि
पलखैत आब कनिको रहलैक ने मनुख लग
दिन राति लागि टाका तहियैल जा रहल अछि
निकहाक कोन मोजर अधलाह बड पियरगर
कागतकँ फूल देखू गमकैल जा रहल अछि
बाजबत' कान काटत चुपचाप पीठ ठोकू
बस मान दान खातिर पजियैल जा रहल अछि
किछु लोक छैथ मातल निजगुतकँ ठानि बैसल
नोनेसँ दालि करगर बरकैल जा रहल अछि
जे जैह बाट धैलक अगुऐल पुनि घुरल ने
लौटयकँ बात छोड़ू कतियैल जा रहल अछि
"राजीव" आनि राखू जुनि मोंछ टा पिजाबू
सरकार आब जागू धकियैल जा रहल अछि
२२१ २१२२ २२१ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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