गजल
हुनक शर्तक ने कोनो जबाब छल
दुखक गर्तक ने कोनो हिसाब छल
हमहुँ देखल बड दुनियाँ जहाँन यौ
कतहुँ छोऱल ने कोनो किताब छल
बनल एहन गति जीबति लहास सन
सनक मोनक जे ई बेहिसाब छल
सुखक एक्कहि टा कारण बनल छलथि
मधुर बोली जे बिहुँसल गुलाब छल
छलय कानल "राजीव"क विचार बल
बसल नैनन मे रावी चिनाब छल
1222 222 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
हुनक शर्तक ने कोनो जबाब छल
दुखक गर्तक ने कोनो हिसाब छल
हमहुँ देखल बड दुनियाँ जहाँन यौ
कतहुँ छोऱल ने कोनो किताब छल
बनल एहन गति जीबति लहास सन
सनक मोनक जे ई बेहिसाब छल
सुखक एक्कहि टा कारण बनल छलथि
मधुर बोली जे बिहुँसल गुलाब छल
छलय कानल "राजीव"क विचार बल
बसल नैनन मे रावी चिनाब छल
1222 222 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment