गजल-६५
बीतल कालक मधुर याद मे ससरि रहल अछि ई जीवन
मातल मोनक मकर जाल मे हहरि रहल अछि ई जीवन
जानत के आ रहल जानि के दसो दिसा मे औ बाबू
कंकर पाथर भरल बाट मे लसरि रहल अछि ई जीवन
मातल मोनक मकर जाल मे हहरि रहल अछि ई जीवन
जानत के आ रहल जानि के दसो दिसा मे औ बाबू
कंकर पाथर भरल बाट मे लसरि रहल अछि ई जीवन
कौखन हरियर लदल गाछ ई मरल परल कखनो मुरझा
सींचल करमक कलम बाध मे चतरि रहल अछि ई जीवन
सींचल करमक कलम बाध मे चतरि रहल अछि ई जीवन
बुझनुक जीतल सदति खेल ई खहरि मरल नित छल बुरिबक
कोने कोने नगर गाम मे हकरि रहल अछि ई जीवन
कोने कोने नगर गाम मे हकरि रहल अछि ई जीवन
बूझत के आ सुनत बात के अपन अपन थिक सोचब यौ
बीछल बाँछल बचल गाछ मे मजरि रहल अछि ई जीवन
2222 12212 1212 2222
@ राजीव रंजन मिश्र
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