गजल- 198
हाय रे अपना माटिक टान
भात दाइल तरकारिक टान
भात दाइल तरकारिक टान
चाह नै छप्पन ब्यंजन केर
गामकेँ दिसि टा साबिक टान
गामकेँ दिसि टा साबिक टान
आर के जीतत परतरमे जँ
आमकेँ मासक गाछिक टान
आमकेँ मासक गाछिक टान
देखने हेबय सभगोटे तँ
गायकेँ खातिर बाछिक टान
गायकेँ खातिर बाछिक टान
गाम आ माए लै राजीव
नै अभागल टा प्राणिक टान
नै अभागल टा प्राणिक टान
212 22 2221
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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