गजल-२०६
नै आँचरमे रहल नेह नै आँखियो नोराइत अछि
लागल ई रोग तेहन कँ जे नेनपन लेढ़ाइत अछि
लागल ई रोग तेहन कँ जे नेनपन लेढ़ाइत अछि
लोकक ठेकान नै जा रहल कोन गलियारा धैने
मनुखक नै गन्ह बाबू मनुखकेँ कनी सोहाइत अछि
मनुखक नै गन्ह बाबू मनुखकेँ कनी सोहाइत अछि
देखब की खेल ओक्कर चलत चालि एहन जे चुप्पे
सूतलकेँ बात की आब जागल नयन चेहाइत अछि
सूतलकेँ बात की आब जागल नयन चेहाइत अछि
जखने क्यौ टोकि देलक कि आफत खसा देलक सगरो
के की बाजत हमर देह सुन्नर भने गन्हाइत अछि
के की बाजत हमर देह सुन्नर भने गन्हाइत अछि
गोए राखब उपाए तँ राजीव नै कोनो बातक
कतबो ने दाबि राखू हियक चेन्ह धरि देखाइत अछि
कतबो ने दाबि राखू हियक चेन्ह धरि देखाइत अछि
2222 1221 2212 2222
@ राजीव रंजन मिश्र
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