गजल-२०७
नै नदीकेँ धार देखू
के पऱल लाचार देखू
के पऱल लाचार देखू
देखि लेने टा बचब तै
चन्द्रमाकेँ पार देखू
चन्द्रमाकेँ पार देखू
अछि उताहुल साफ पन्ना
हाशिया पर वार देखू
हाशिया पर वार देखू
रंग भेदक तान धैने
बड़ चलल अतिचार देखू
बड़ चलल अतिचार देखू
किछु बिलमि टा सोचि ली आ
जीत टा नै हार देखू
जीत टा नै हार देखू
कौर जे छीनल गरीबक
से उठेने भार देखू
से उठेने भार देखू
आब नै हारू करेजा
चिर सपन साकार देखू
चिर सपन साकार देखू
सभ चलू राजीव संगे
सुख सिनेहक हार देखू
सुख सिनेहक हार देखू
2122 2122
@ राजीव रंजन मिश्र
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