गजल-२०३
भीतरसँ भीजब सीख लेलहुँ
जिनगी तते ने चोट देलक
आरिज भ' लीखब सीख लेलहुँ
मुँह कान झाँपल सभ अपन धरि
फटकीसँ चीन्हब सीख लेलहुँ
दू घोंट ई माहुर सुराकेँ
हमहूँ तँ पीयब सीख लेलहुँ
राजीब नै बेसी कहब किछु
जीवनसँ जीतब सीख लेलहुँ
२२१ २२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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