गजल- २०१
नै आब नेह सहजे भेटत
किछु खोंच खाँच लगले भेटत
किछु खोंच खाँच लगले भेटत
दू डेग संग चलिते मातर
सभ हाथ जोऱि अलगे भेटत
सभ हाथ जोऱि अलगे भेटत
जे बाट जैब सभमे बाबू
दू चारि गोट गजबे भेटत
दू चारि गोट गजबे भेटत
के आब बात लोकक सूनत
दियमान चाऱ चढले भेटत
दियमान चाऱ चढले भेटत
यौ कान सोन दुन्नू संगे
बऱ ऊँच कर्म तहने भेटत
बऱ ऊँच कर्म तहने भेटत
राजीव देखि अँखियाबू जुनि
नै लोक फेर तकने भेटत
नै लोक फेर तकने भेटत
221 21 2222
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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