गजल-२०२
जखन क्यौ नै संगमे तँ हम छी ने
अहाँकेँ सभ रंगमे तँ हम छी ने
अहाँकेँ सभ रंगमे तँ हम छी ने
भने सुखकेँ बेर नै रही हम धरि
दुखक मारुक जंगमे तँ हम छी ने
अहाँ अपने मोनकेँ टटोलब जे
सचर मीतक ढंगमे तँ हम छी ने
हमर भागक गप्प जे अहाँ संगी
सगुनमे आ भंगमे तँ हम छी ने
कनी काले राजीव छी मुदा तैय्यो
सखा बनि मौरंगमे तँ हम छी ने
1222 212 1222
@ राजीव रंजन मिश्र
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