गजल-१८२
मुहँ झाँपि क' हँसि रहल ओ कामिनी छल
अहलादसँ भरि उठल मधुयामिनी छल
अहलादसँ भरि उठल मधुयामिनी छल
गलहार सजल धवल मुक्ताकँ माला
हिय पर त' खसा रहल सउदामिनी छल
हिय पर त' खसा रहल सउदामिनी छल
सारंग नयन सुनरिकेँ चालि अनमन
मदमाति क' जनि चलल गजगामिनी छल
मदमाति क' जनि चलल गजगामिनी छल
नबरूप सजा क' उतरल अपसरा ओ
मनुसिजकँ रिझा रहल रतिभामिनी छल
मनुसिजकँ रिझा रहल रतिभामिनी छल
राजीव निरखि निरखि बस रूप टाकेँ
दिअमानसँ बनि रहल सत जामिनी छल
२२११ २१२२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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