गजल-१९०
हँसि क' बाजल करू आ बजाबू अहाँ
बोल नेहक अपन नित सुनाबू अहाँ
बोल नेहक अपन नित सुनाबू अहाँ
लोक दुसमन रहल छै सिनेहक सदति
डेग सोचल नियारल बढाबू अहाँ
डेग सोचल नियारल बढाबू अहाँ
जाहि बाटे चली से भरल फूलसँ हो
चलि क' मंशा करेजक पुराबू अहाँ
चलि क' मंशा करेजक पुराबू अहाँ
हम जियब आ मरब बेश कहुना मुदा
राति चैनक भरल धरि बिताबू अहाँ
राति चैनक भरल धरि बिताबू अहाँ
प्रान राजीवकेँ आब बाँचब कठिन
बाण रूपक अपन जुनि चलाबू अहाँ
बाण रूपक अपन जुनि चलाबू अहाँ
21 2212 2122 12
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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