गजल-१८४
हुनक शर्तक नै कोनो जबाब छल
हियक दर्दक नै कोनो हिसाब छल
हमहुँ देखल बड दुनियाँ जहाँन नै
कतहुँ छोड़ल टा कोनो किताब छल
बना देलक गति जिबिते लहास सन
सनक मोनक जे ई बेहिसाब छल
सुखक कारण टा हुनकर तँ संग आ
मधुर मुस्की ओ बिहुँसल गुलाब छल
कहू मोनक की राजीव हाल हम
दुनू नैना जनि रावी चिनाब छल
1222 222 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
हुनक शर्तक नै कोनो जबाब छल
हियक दर्दक नै कोनो हिसाब छल
हमहुँ देखल बड दुनियाँ जहाँन नै
कतहुँ छोड़ल टा कोनो किताब छल
बना देलक गति जिबिते लहास सन
सनक मोनक जे ई बेहिसाब छल
सुखक कारण टा हुनकर तँ संग आ
मधुर मुस्की ओ बिहुँसल गुलाब छल
कहू मोनक की राजीव हाल हम
दुनू नैना जनि रावी चिनाब छल
1222 222 1212
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment