गजल -१८०
बुझना गेल अनजान सन
जबरन देलहा मान सन
जबरन देलहा मान सन
घर आंगन त' सुनसान छल
चम्बल केर बियबान सन
चम्बल केर बियबान सन
बुझनुक लेल जे गारि छल
थेथ्थर लेल दिअमान सन
थेथ्थर लेल दिअमान सन
मोनक भाब छुछ्छ पड़ल
उस्सर खेत खरिहान सन
उस्सर खेत खरिहान सन
दुःख राजीव ककरा कहब
अपने मोन अछि आन सन
अपने मोन अछि आन सन
2221 2212
@ राजीव रंजन मिश्र
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