गजल-३४
बिनु बातक बात हजार भेटल
सुनि काने कान पसार भेटल
सभ लागल भास नियार मे छल
दिन काजक ने सरकार भेटल
छल सौनक मास दहैल देहरि
अगहन नित पात सचार भेटल
जौँ राखल बात विचार सीटल
घुरि ताकल हाथ लथार भेटल
चुप चापे आँखि निपोरि चिन्हल
अहलादक यार भजार भेटल
छल डाहल मोन मिजाज शोणित
पुनि लागल हाट बजार भेटल
"राजीव"हुँ हारि हियाउ बैसल
बड शानक माथ कपार भेटल
22221 121 211
@ राजीव रंजन मिश्र
बिनु बातक बात हजार भेटल
सुनि काने कान पसार भेटल
सभ लागल भास नियार मे छल
दिन काजक ने सरकार भेटल
छल सौनक मास दहैल देहरि
अगहन नित पात सचार भेटल
जौँ राखल बात विचार सीटल
घुरि ताकल हाथ लथार भेटल
चुप चापे आँखि निपोरि चिन्हल
अहलादक यार भजार भेटल
छल डाहल मोन मिजाज शोणित
पुनि लागल हाट बजार भेटल
"राजीव"हुँ हारि हियाउ बैसल
बड शानक माथ कपार भेटल
22221 121 211
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment