गजल ३५
सोचसँ जीतल ई दुनियाँ
सोचक हारल ई दुनियाँ
सोच उठौलक आ पटकल
सोच सवारल ई दुनियाँ
सोचिकँ पैलक सभ सभटा
सोचक मारल ई दुनियाँ
सोच बनौलक निक बेजा
सोच निखारल ई दुनियाँ
सोचल गौतम तैँ जानू
अंककँ जानल दुनियाँ
सोचक बाबैत राम छला
कृष्णकँ चिन्हल ई दुनियाँ
सोचकँ अप्पन शान चढा
लोक पछारल ई दुनियाँ
सभ कहथि सोचू जुनि यौ
सोच बिसारल ई दुनियाँ
सोच छोड़िकँ सभ तरहे
हाथ पसारल ई दुनियाँ
सोचल बेसी आ करनी
किछु ने मानल ई दुनियाँ
"राजीव"क बुझने तौँ बस
सोचक डाहल ई दुनियाँ
२११ २२ २२२
@राजीव रंजन मिश्र
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