बस अपन राज टा पाबी!!
हम मैथिल छी मिथिलावासी
हम जनक धिया के ध्याबी
जनकलली छथि बहिन हमर
हम गीत हुनक टा गाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
ऐला पुरुषोत्तम पाहुन बनिक'
रहला ने ओहो अहिठा तनिक'
मिथिलांचलक छटा अनुपम
कैल अछि रामायण में दाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
विद्यापति कवि कोकिल हम्मर
कमला कोशी गंडक हम्मर
हम ओतबा में निर्वाह करी
जतबा बुधि-संस्कारसँ पाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
गौतम-कणाद के माटि हमर
मंडन आ अयाँची मान हमर
हम्मर इतिहास रहल अछि
हम छीन-झपटि ने लाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
अछि चाह याह टा जन-गन के
अप्पन मिथिला राज बनाबी
चाहे जे किछु भी करय परय
हम सबतरहे जोर लगाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
हम्मर जतबा,ओतबा चाही
हम बेसी ला नहि मुँह बाबी
मिथिला मान आ शान हमर
हम सब सहियारल डेग बढाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
हम बहुत दिनक सतायल छी
सब रुपे सबतरिसँ दबायल छी
आब आर ने हम सहब चुप रहि
अछि मिथिला राजक टा दाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
एकसर ने छथि कवि एकांत
अछि मोन सभक सभरूपे क्लांत
संग हुनक सभ दी सगरोसँ
आबू नब इतिहास रचाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
राजीव रंजन मिश्र
२२।०३।२०१३
हम मैथिल छी मिथिलावासी
हम जनक धिया के ध्याबी
जनकलली छथि बहिन हमर
हम गीत हुनक टा गाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
ऐला पुरुषोत्तम पाहुन बनिक'
रहला ने ओहो अहिठा तनिक'
मिथिलांचलक छटा अनुपम
कैल अछि रामायण में दाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
विद्यापति कवि कोकिल हम्मर
कमला कोशी गंडक हम्मर
हम ओतबा में निर्वाह करी
जतबा बुधि-संस्कारसँ पाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
गौतम-कणाद के माटि हमर
मंडन आ अयाँची मान हमर
हम्मर इतिहास रहल अछि
हम छीन-झपटि ने लाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
अछि चाह याह टा जन-गन के
अप्पन मिथिला राज बनाबी
चाहे जे किछु भी करय परय
हम सबतरहे जोर लगाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
हम्मर जतबा,ओतबा चाही
हम बेसी ला नहि मुँह बाबी
मिथिला मान आ शान हमर
हम सब सहियारल डेग बढाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
हम बहुत दिनक सतायल छी
सब रुपे सबतरिसँ दबायल छी
आब आर ने हम सहब चुप रहि
अछि मिथिला राजक टा दाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
एकसर ने छथि कवि एकांत
अछि मोन सभक सभरूपे क्लांत
संग हुनक सभ दी सगरोसँ
आबू नब इतिहास रचाबी
हमर मांग छी एक्कहि टा
बस अपन राज टा पाबी!!
राजीव रंजन मिश्र
२२।०३।२०१३
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