उठू उठू हे वीर जवान !!
उठू उठू हे वीर जवान
मिथिलाकँ सूतल सन्तान
दीन हीन भए छी बैसल
भूलि बिसरिकँ अप्पन मान
जागू आबहुँ जागू सब मिलि
नै त' आब ने बाँचत प्राण !!
उठू उठू हे वीर जवान ........
पुरखा दर पुरखा लड़ैत रहल
आइन अमरखे जरैत रहल
आबहुँ ने अछि मोन भरल?
छोङू सभटा पुरना ढाठी यौ
फुकू समाज मे नबका जान
उठू उठू हे वीर जवान ..........
रौदी कखनो,कखनो बाढि
मौलायल अछि सभटा ठाढि
देश कोस छोड़ल सभ गोटे
अपने नै जौँ डाँर कसब सब
देखलक कखन ककरा आन!!
उठू उठू हे वीर जवान ..........
रहब कखन धरि मोन मारिकँ
अपन घर आँगन छोड़ि छाऱिकँ
जागू संज्ञान सचरभ' सभ रुपे
ज्ञानक डिबिया बारि बारिकँ
खोजू सभटा नब बाट विकासक
तखने टा आब होयत कल्याण!!
उठू उठू हे वीर जवान ..........
जाति पातिकँ भेद मिटाबू
ऊँच नीच केर गीत ने गाबू
मैथिल छी,मैथिल बनि रहू
माँ मिथिलेकँ मुक्ति दियाबू
खाउ सपथ सभ गोटे "राजीव"
राखब सभ रूपे निज दियमान!!
उठू उठू हे वीर जवान ..........
@ राजीव रंजन मिश्र
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