गजल-२२८
लोकक नै रहल कहियो किछुओ भरोसा
नै सभटा पुरल ककरो कखनो भरोसा
नै सभटा पुरल ककरो कखनो भरोसा
जे अछि रातिमे नहिँयो भेटत सबेरे
कोना के करत कखनो ककरो भरोसा
कोना के करत कखनो ककरो भरोसा
कुकुरचालि अपने ई डाढल हियाकेँ
जे काबिल सिनेहक नै तकरो भरोसा
जे काबिल सिनेहक नै तकरो भरोसा
लूटल दाग वस्त्रों टा सभ लहासक
नै राखल ग' दइबोकेँ कनियो भरोसा
नै राखल ग' दइबोकेँ कनियो भरोसा
कोनो आइकेँ नै ई पुरना पिहानी
जे घनसार बनि छल उऱलो भरोसा
जे घनसार बनि छल उऱलो भरोसा
सेरेने हियाकेँ छी राजीव फुइसक
भरमेलक सदति सभकेँ सगरो भरोसा
भरमेलक सदति सभकेँ सगरो भरोसा
222 1222 22122
@ राजीव रंजन मिश्र
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