गजल-२२९
लाख गलती तँ बेटाकेँ बिसरय छै माए
एक मायक प्रतापे पोसा गेलय धी-पुत
सात बेटा अछैतो धरि हुकरय छै माए
बात ककरा हियक किछु कहतै जे बुढ़िया
नोर आँखिक दबा टकटक निरखय छै माए
बाँटि अपना मुँहक सदिखन रोटी आ पानि
राति तीतल बिछौना पर बितबय छै माए
छैक नेहक त पाछू संसारे बेकल धरि
नेह सुच्चा अहेतुक टा लगबय छै माए
ताकि राजीव देखल चहुँ दिसि टा कतबो धरि
मोन मायक सनक अगबे जुरबय छै माए
२१२२ १२२२ २२ २२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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