गजल-२३९
नोरकेँ नै मोल रहलै
मेल आ नै जोल रहलै
मेल आ नै जोल रहलै
के करत ककरासँ गप-शप
आब नै मिठ बोल रहलै
आब नै मिठ बोल रहलै
ठोढ़केँ दियमान फाजिल
बोल फूटल ढोल रहलै
बोल फूटल ढोल रहलै
बान्ह बान्हल की प्रशाषन
खोलि बरसा पोल रहलै
खोलि बरसा पोल रहलै
माथ तरकेँ गेरुआ गुम
रुइसँ चरफड़ खोल रहलै
रुइसँ चरफड़ खोल रहलै
बाट जोहल आँखि जकरे
सैह बनि अनमोल रहलै
सैह बनि अनमोल रहलै
गाम नै पहुँचल ग' बिजली
ठाढ़ ठुठ्ठा पोल रहलै
ठाढ़ ठुठ्ठा पोल रहलै
छै पियासल मोन बड़ तैँ
भरि अपन सभ डोल रहलै
भरि अपन सभ डोल रहलै
बेश ठगलक फेर नेता
हाथमे बस ओल रहलै
हाथमे बस ओल रहलै
नाम पर सद्भावनाकेँ
झूठकेँ अनघोल रहलै
झूठकेँ अनघोल रहलै
जीब टा राजीव कहुँना
छीः मनुखकेँ गोल रहलै
छीः मनुखकेँ गोल रहलै
२१२२ २१२२
@ राजीव रंजन मिश्र
@ राजीव रंजन मिश्र
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