गजल-२३१
मैथिल नै धरि मानि रहल अछि
लागल सभ क्यो नीक अपन लै
अपनेमे ई ठानि रहल अछि
तिरपित मैथिल चारि टकामे
कमजोरी सभ जानि रहल अछि
अपना सतुआ नोन कँ महि महि
अनका खातिर सानि रहल अछि
मोदी लालू आर नीतीशक*
सीटक गनती गानि रहल अछि
के जानल के चूसि रहल आ
के घरमे की आनि रहल अछि
जीतल क्यौ राजीव अनेरे
बुड़िबक छाती तानि रहल अछि
२२२२ २१ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र
*पाँचम शेरकेँ दोसर पाँतिमे एक टा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि
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