गजल-४४
कखनो ककरो कि सभटा चाहल भेटलय
कोठी भारिगरत' बखरा निरसल भेटलय
कोठी भारिगरत' बखरा निरसल भेटलय
गमबइ मौसमत' बुझबा मे आओत यौ
रौदी डाहलत' पुरबा शीतल भेटलय
रौदी डाहलत' पुरबा शीतल भेटलय
लोकक कहबी कि पातर नेहक बाट बड
गौरब रहलै कि विधना बैसल भेटलय
गौरब रहलै कि विधना बैसल भेटलय
रहलै भागकत' सगरो घुरि-फिरि देखियौ
नखतो चानकत' खोटल खाटल भेटलय
नखतो चानकत' खोटल खाटल भेटलय
२२२२१ २२२२ २१२
@ राजीव रंजन मिश्र
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