गजल-४७
याद हुनक रहि रहि सताओल हमरा
चैन सदति सभदिन छकाओल हमरा
चैन सदति सभदिन छकाओल हमरा
बाट जिनक सदिखन सजाओल फूले
चालि चलन सबहक झमाओल हमरा
चालि चलन सबहक झमाओल हमरा
चान नखत कहियो कि छल चाह भेटय
डेग परल जहिँ तहिँ हराओल हमरा
डेग परल जहिँ तहिँ हराओल हमरा
भोर सुतल कहुना मुदा राति सगरत'
आँखि भरल टकटक तकाओल हमरा
आँखि भरल टकटक तकाओल हमरा
लोक कहै "राजीव" अनढनकँ सहकल
सोच हमर खहरल नचाओल हमरा
सोच हमर खहरल नचाओल हमरा
2112 22 122122
@ राजीव रंजन मिश्र
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