गजल-५२
सुख जागि उठल छल दु दिन लेल
हिय गाबि रहल छल दु दिन लेल
छल चान नखत धरि बनल पैठ
ईजोर भरल छल दु दिन लेल
सुनि बात हुनक हम छलहुँ गुम्म
सभ पीर छँटल छल दु दिन लेल
ने जानि कखन पुनि लखब फेर
जे रूप सजल छल दु दिन लेल
"राजीव" बिसरि गेल जगतीक'
सुर ताल जमल छल दु दिन लेल
२२१ १२२ १२२१
© राजीव रंजन मिश्र
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