गजल-49
झोंक पवन केर मानल ककरा
चालि समय केर छोङल ककरा
चालि समय केर छोङल ककरा
ताकि रहल जेठ छोटक मुँह धरि
ग्यान भरल लोक उकटल ककरा
ग्यान भरल लोक उकटल ककरा
जानि कहाँ पैब जिनगीक कला
टोक झङकबाहि धारल ककरा
टोक झङकबाहि धारल ककरा
पोखि भरल मांगि चांगिक' अपने
लोभ ग्रसल लोक डेबल ककरा
लोभ ग्रसल लोक डेबल ककरा
मानि चलल यैह "राजीव" सदति
भाग लिखल छोङि भेटल ककरा
भाग लिखल छोङि भेटल ककरा
2112 212 222
@ राजीव रंजन मिश्र
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