DASTAN- E-JINDAGI
Monday, November 7, 2011
यादो को उनके समेटकर हमने,
बंद मुट्ठी कर,
दिल के इक कोने में रख दिया!!
याद आना तो उनका, ना छुटा मगर,
पर यादों का सिलसिला,
जरुर कम हो गया!!
राजीव रंजन मिश्रा
०९.१०.२०११
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