DASTAN- E-JINDAGI
Wednesday, November 9, 2011
: जुस्तजू:
जिसे जुस्तजू थी क़ी जन्नत को पा ले!
जो जन्नत मिली तो खुद खो गया है!!
कुदरत का , यही है दस्तूर यारों !
किस्मत से आगे,न कोई गया है!!
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