गजल-३०२
जनताक लेल धरि चान छथि ओ
की चालि ढालि अनका सिखौता
बस नामकेर गुणवान छथि ओ
बनता नवाब छटताह इंग्लिश
जनि सेक्शपीयरक शान छथि ओ
सुकुमारि नारि देखल कि बाबू
सभटा बिसरि कँ कुर्बान छथि ओ
अनपढ़ गँवार राजीव जगती
गुन ज्ञान केर खरिहान छथि ओ
२२१ २१ २२१ २२
@ राजीव रंजन मिश्र
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