गजल-३०१
लाखोँ करोड़ो मैथिल ऐ ठाम बसि रहल अछि
माँ मैथिली लाजे मुदा पाताल धसि रहल
हेरेलऔं सभ लीपिकेँ भाषा बिसरि चलल छी
संस्कारकेँ डेंगी लचरि मझधार भसि रहल अछि
की आब केँ बाजब कथी माथा उठैब कोना
सभटा धरोहरकेँ हयौ देवाल खसि रहल अछि
साहित्यकेँ किछु मोल नै सभ्यताक भान नै किछु
सभकेँ सगर गौरवक गहुँमन साँप डसि रहल अछि
थिक ठाढ़ मिथिला-मैथिली राजीव चौक परमे
मैथिल मुदा बस नाम खातिर डाँर कसि रहल अछि
२२१२ २२१२ २२१२ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र
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