गजल-२९८
करनी कथनी थीर अहाँकेँ
तखने मानब वीर अहाँकेँ
कहलक बड़ किछु ठाठ नवाबी
ढेरी ढाकी भीड़ अहाँकेँ
रहतै कत दिन ईद दिवाली
कहतै फोरन जीर अहाँकेँ
दैवा देने कोन कमी किछु
तरकसमे सभ तीर अहाँकेँ
बजनाहरकेँ कंठ सुखेलै
चाही काजक नीर अहाँकेँ
जे बाजी राजीव निमाही
सप्पत किरिया धीर अहाँकेँ
२२२२ २१ १२२
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment