आइ वियाहपंचमी पर अपने लोकनिक सोँझ प्रेषित अछि हमर ई अकिंचन भाब चेष्टा,माँ मैथिलीकँ सेवामे :
चलू सखि देखि आबी सभ सुनर छवि राम सीताकेँ
जनकपुर धाम अछि सजल बढल दियमान मिथिलाकेँ
जनकपुर धाम अछि सजल बढल दियमान मिथिलाकेँ
सुनयना आइ बिलखएथि दुल्हा रामकेँ लखि लखि
विरल जोड़ी जनकललीक अवधपति राम ललनाकेँ
विरल जोड़ी जनकललीक अवधपति राम ललनाकेँ
धिया सुकुमारि छथि भरल पुरल गुण ज्ञानकेँ अनुपम
लला रघुवर सरल हियक मुदा संज्ञान दुनियाकेँ
लला रघुवर सरल हियक मुदा संज्ञान दुनियाकेँ
बराती रूप गुण भरल मनोहर साज सज्जित सभ
जनक राजा हुलसिकँ बेश जोड़थि हाथ पहुनाकेँ
जनक राजा हुलसिकँ बेश जोड़थि हाथ पहुनाकेँ
सिनुरदानक निरखिकँ छवि मगन राजीव तिरपित बड़
धरथि नब रूप बानि ओहने धिया फेरोसँ मिथिलाकेँ
धरथि नब रूप बानि ओहने धिया फेरोसँ मिथिलाकेँ
122 2121 2122 21222
@ राजीव रंजन मिश्र
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