समस्त मित्र मंडलिक अगाध सिनेह आ उत्साहवर्द्धनकेँ बले आइ एक सए पचासम गजल प्रेषित अछि अपने लोकनिक सोँझा,स्नेहाकांक्षी रहब अपने लोकनिक सुझाब आ विचारक :
गजल-१५०
छल बुधियारक आ फेर बुधियारकेँ हेतए
ओ दिन फेरो देखत ग' ऐ माटिकेँ लोक यौ
चप्पा चप्पामे राज सुख शानकेँ हेतए
जखने राखब यौ भाइ लोकनि बचल होशटा
मोजर तहने नै चोर गद्दारकेँ हेतए
मन्दिर मस्जिद रोड़ा बनत नै अपन बाटकेँ
ओ बस मानक भगवान अल्लाहकेँ हेतए
जानब सभदिन राजीव विस्वास बड़ पैघ गप
सरिपहुँ देखब टा जीत हकदारकेँ हेतए
२२२२ २२१२ २१२ २१२
@ राजीव रंजन मिश्रा
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