गजल -१७३
नेह भरल मोन डाहल होइ छैक
भाब सिनेहक पियासल होइ छैक
भाब सिनेहक पियासल होइ छैक
आन त' बदनाम झुट्ठो बात लेल
लोक अपनकेर मारल होइ छैक
लोक अपनकेर मारल होइ छैक
चाह सदति काल चातककेँ त' एक
ठोप गगनकेर बादल होइ छैक
ठोप गगनकेर बादल होइ छैक
त्यागि चलल मोह माया जे सएह
वीर त' किछु एक गानल होइ छैक
वीर त' किछु एक गानल होइ छैक
जानि पऱल यैह टा ऐ ठाम रूप
नाम अधिक काल साजल होइ छैक
नाम अधिक काल साजल होइ छैक
दोष त' राजीव सदिखन निरविवाद
सोंझ मनुखकेर मानल होइ छैक
सोंझ मनुखकेर मानल होइ छैक
२११२ २१२२ २१२१
@ राजीव रंजन मिश्र
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