गजल-१६२
अंग्रेजी नववर्षक जोश खरोशसँ भरल अवसर पर समस्त मिथिला मैथिल,जेठ श्रेष्ट आ सखा बंधू लोकनिकेँ सादर आ सस्नेह हार्दिक शुभकामनाक संग प्रेषित अछि हमर ई गजल अपने ज्ञानी गुनी जनकेँ सोँझा :
अपन संग होइक बस सभ हालमे
नवल सोच होइक ऐ नब सालमे
चलू फेर सभ गोटे मिलि जाइ आ
खिला दी कमल सगरो महि थालमे
बदलि लेब दुनियाकेँ अपनेसँ हम
रहत फेर तागत नै जंजालमे
समयकेँ त कोसब वीरक बानि नै
बड़ी शान सौरभ छै सुरतालमे
सखा यैह राजीवक शुभकामना
रही स्वस्थ सुधिगर सभ सभकालमे
१२२१ २२२ २२१२
@ राजीव रंजन मिश्र
No comments:
Post a Comment