Saturday, January 25, 2014

गजल-१७६ 

ई भारत देश छी प्राण अपन
थिक देशक शानमे शान अपन

धरनी ब्रम्हांडमे साख जकर
तै माटिक मान टा मान अपन 

सभतरि सभ गाबए गीत मुदा
मदमातल कोयलिक गान अपन 

किछु सीखह आबि तौं गेह हमर
तत मिठगर बोल जे आन अपन 

छी पसरल दोग आ कोन सगर
धरि काजक काजमे ध्यान अपन 

नै बाजब बेश नै आँखि सहब
मर्यादा केर अछि भान अपन 

उनटा  इतिहास भूगोल सभक
हम देखल ऊँच दोकान अपन 

जय जय राजीव भारतकँ कहब
अछि सदिखन एतबे तान अपन 

222 212 2112
@ राजीव रंजन मिश्र 

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