गजल-८४
किछु नै भेटत भसिएलासँ
हासिल सभटा सरिएलासँ
सत जे जानल ऐठम भाय
से चमकल छल कतिएलासँ
हासिल सभटा सरिएलासँ
सत जे जानल ऐठम भाय
से चमकल छल कतिएलासँ
ककरा सहजे भेटल बाट
सगरो सदिखन लसिएलासँ
सगरो सदिखन लसिएलासँ
हारल कखनो नै दिन राति
सुधि बुधि टा गहि पजिएलासँ
सुधि बुधि टा गहि पजिएलासँ
दुख धन्धी भागत "राजीव"
सभ मिलि सभतरि बतिएलासँ
सभ मिलि सभतरि बतिएलासँ
2222 2221
@ राजीव रंजन मिश्र
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