Wednesday, July 25, 2012

तुम मुझमे और मै तुझमे
ऐसा हो अपना संयोजन 
आये कैसी भी कठिन घडी 
विचलित ना हो  तन मन
आशाओं के डोर हमेशा 
जीवन से अपने बंधी रहे
हम बांटे सुख-दुःख अपना 
और सोच हमेशा सही रहे
सुख में हम इतराये ना
और दुःख में ना घबरायें
चले परस्पर यूँ मिलकर
की हिला सकें ना बाधाएं
जब मै थोड़ा सा दुखी रहूँ 
तुम मेरा दुःख दर्द मिटाओ 
और दिल में तुम्हारे वेदन हो
तो आगोश में मेरे आ जाओ
यूँ मिल-जुल कर जाएगी गुजर 
गर जीवन में आये भी पतझड़
और  भला क्या रखा है प्रिय 
यह जीवन है बस एक सफ़र

राजीव रंजन मिश्र
१७.०६.२०१२ 

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