तुम मुझमे और मै तुझमे
ऐसा हो अपना संयोजन
आये कैसी भी कठिन घडी
विचलित ना हो तन मन
आशाओं के डोर हमेशा
जीवन से अपने बंधी रहे
हम बांटे सुख-दुःख अपना
और सोच हमेशा सही रहे
सुख में हम इतराये ना
और दुःख में ना घबरायें
चले परस्पर यूँ मिलकर
की हिला सकें ना बाधाएं
जब मै थोड़ा सा दुखी रहूँ
तुम मेरा दुःख दर्द मिटाओ
और दिल में तुम्हारे वेदन हो
तो आगोश में मेरे आ जाओ
यूँ मिल-जुल कर जाएगी गुजर
गर जीवन में आये भी पतझड़
और भला क्या रखा है प्रिय
यह जीवन है बस एक सफ़र
राजीव रंजन मिश्र
१७.०६.२०१२
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