गजल-३३१
लाठी राखितो अहिंसक छलाह
सत झूठक प्रखर मिमांसक छलाह
सत झूठक प्रखर मिमांसक छलाह
संसाधन अछैत ओ शांतिदूत
देशी चीजकेँ प्रशंसक छलाह
देशी चीजकेँ प्रशंसक छलाह
यौ कहनाइ बड सहज छै जनाब
सोचू कोन हाड़ मांसक छलाह
सोचू कोन हाड़ मांसक छलाह
तहिया लोक की रहै बड बताह
मानल जे सए शतांशक छलाह
मानल जे सए शतांशक छलाह
जेहन ओ छलाह जेहन छलाह
हमरे आ अहाँक वंशक छलाह
हमरे आ अहाँक वंशक छलाह
यौ राजीव मानि लेलक खराप
धरि जगती कहत अक्षांशक छलाह
धरि जगती कहत अक्षांशक छलाह
@ राजीव रंजन मिश्र
२२२१२ १२२ १२१
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