Monday, October 27, 2014

गजल-३४१

सतकेँ दाबि खोहमे मुहँ दब्बू बनि गेल जमाना
मनलग्गूक ताकमे पिछलग्गू बनि गेल जमाना

नेन्ना पीबि नै रहल मायक छातीकेर सुधारस
तैँ ने रूसि गेल विधि दुधकट्टू बनि गेल जमाना

गलती बूझि सूझि सभ किछु अंठीयेलासँ रहत की
छोङल बुधि विवेक आ अँखिझप्पू बनि गेल जमाना

देबै दोष किछु ककर सभटा ई अपने करनी अछि
ठोकर खा कँ जग भरिक गछपक्कू बनि गेल जमाना

थेथरचालि त्यागि दी सभगोटे राजीव अपन सभ
बाँचब नै तँ कहबए सँढदग्गू बनि गेल जमाना

२२२१ २१२ २२२ २२१ १२२
®राजीव रंजन मिश्र

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